पत्नी की देह परमात्मा की पहली पर्त: ओशो
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तुम जब अपनी पत्नी में डूबते हो या अपने पति में डूबते हो, तब भी तुम परमात्मा का ही रस लेना चाह रहे हो।
सिर्फ तुमने ज़रा लंबा रास्ता चुना है देह, फिर देह के भीतर मन है, और मन के भीतर आत्मा है–और आत्मा के भीतर परमात्मा छिपा है। तुम पत्नी की देह में ही उलझ गए, तो ऐसा हुआ कि छीलने चले थे प्याज की गांठ को, बस पहली ही पर्त उघाड़ पाए।
पत्नी के मन तक पहुंचो–दूसरी पर्त उघड़ेगी। पत्नी की आत्मा तक पहुंचो–तीसरी पर्त उघड़ेगी। और पत्नी के भीतर भी तुम्हें परमात्मा के दर्शन होंगे, पत्नी मंदिर बन जाएगी।
और जब तक पत्नी मंदिर बन जाए और पति मंदिर न बन जाए, तब तक समझना कि प्रेम था ही नहीं, वासना ही थी।