पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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कहाँ हे तीर्थ ? ?
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कहाँ हे धाम ? ?
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मंदिर मस्जिद मे, कौन से रब को, ढूंढने है तू जाता।
सारे तीर्थ तुझे, तेरे घर मे ही मिलेगा,
जरा गौर से देख, अपना बूढ़ा बाप और बूढ़ी माता ।

वृद्धाश्रम मे छोड़, उनको तू सताता है।
और लगा तिलक माथे पर, आडंबर तू रचाता है।

तू क्या जाने, क्या है भक्ति, और क्या होता भगवान।
जिस ने सींचा तुझे खून से, पहले ज़रा उसे तो पहचान।

इंसान के बनाए चबूतरो में , खुदा नही बसता।
सोने का चढ़ा कर छतर, उसे खरीदने वाले, उसे न समझ सस्ता।

उसी की दी हुई इस दौलत से, तू उसे ही कुछ चढ़ाता है।
और फिर उस चढ़ावे के बदले में, तू उससे कहीं बहुत चाहता है।

तेरी तो भक्ति मे भी बस मतलब की बू ही आती है।
पर तू क्या जाने, उस से तो बस सद् बुद्धि ही मांगी जाती है।

अगर रहेगी बुद्धि तेरी ठीक, तो सही रास्ते पर चलता जाएगा।
ओर मैली सोच से तो तू सीधा नरक मे ही जगह पाएगा।

ईश्वर न किसी मूर्ती मे, न ही उसका कोई स्थान।
रखेगा नीयत पाक साफ, तो तेरे मन मे ही मिलेगा तुझे भगवान।
हर कण कण में हर रोम रोम में बसता हे ये भगवान ।।