मानवता और इंसानियत जैसे शब्द अब सिर्फ सोशल मीडिया में पढ़ने को मिलता है।अपोलो जैसे निजी अस्पताल मौत के सौदागर बन गए हैं।ये लोग जिंदा आदमी को लाश बना देते हैं और उस लाश की कीमत भी वसूलते हैं। यह फ़िल्म भी नहीं है कि कोई गब्बर सिंह इनके लिए सामने आएगा।
मुझे शिकायत है इन नामी गिरामी अस्पतालों से!