पिंकी जैन's Album: Wall Photos

Photo 32,934 of 35,029 in Wall Photos

पंच- तत्त्व की मिट्टी से सुंदर इंसान बनाया था,
उस कुम्हार ने उच्च संस्कारों से खूब सजाया था।

सोचा था धरती पर आकर वह सत्पथ अपनाएगा ,
अपने उज्ज्वलतम कृत्यों से सबको मार्ग दिखाएगा।

किन्तु यहाँ मानव ने अपना एक अलग संसार रचा ,
सुख -साधन से परिपूरित अपना एकल परिवार सृजा।

दूर हो गए रिश्ते-नाते , भूल गए दादा- दादी ,
जिनके बिना अधूरी लगती थीं घर -आँगन की थाती ।

नित्य मशीनी जीवन जीकर मानव यंत्र समान हुआ ,
संवेदन का हृदय -पक्ष से समझो कि अवसान हुआ।

सुख-समृध्दि की चाहत ने उसको अब अंधा बना दिया ,
भ्रष्ट-आचरण की दलदल में उसको पूरा डुबा दिया।

चारों ओर भयंकर शोषण अपराधों का दौर चला,
चीत्कार व कोलाहल से पूरा ही संसार हिला ।

ईश्वर किंकर्तव्यविमूढ़ हो बार -बार यह सोच रहा ,
क्यों इतने यत्नों से मैंने इंसानों का रूप रचा।