पिंकी जैन's Album: Wall Photos

Photo 33,377 of 35,265 in Wall Photos

Good afternoon friends
चतुर लड़की

बहुत समय पूर्व एक किसान अपनी बेटी के साथ एक गॉंव में रहता था। उसकी आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण उसे गॉंव के साहूकार से ऋण लेना पड़ा। बहुत समय बीत जाने के बाद भी वह साहूकार का ऋण नहीं चुका पाया। साहूकार बूढ़ा और देखने में कुरूप था। उसके अनुचित स्वाभाव के कारण गॉंव में उसे कोई भी पसंद नहीं करता था। किसान की बेटी बहुत सुंदर और सुशील थी। किसान ने उसे बड़े लाड़-प्यार से पाला था। वह अपने पिता के साथ ही खेतों में काम करती थी। एक दिन उस बूढ़े साहूकार की दृष्टि किसान की सुदंर पुत्री पर पड़ी और वह उस पर मोहित हो गया और मन ही मन उससे विवाह करने की सोचने लगा।

लेकिन उसे पता था कि किसान अपनी लड़की का विवाह उससे कभी नहीं करेगा। इसके साथ-साथ उसे यह भी ज्ञात था कि किसान इस समय ऐसी स्थिति में नहीं है कि वह अपना ऋण चुका सके। किसान के खेत का रास्ता छोटे-छोटे कंकड़ों और रोड़ियों से भरा पड़ा था। एक दिन साहूकार खेत की ओर जाने वाले रास्ते पर खड़ा हो गया। कुछ समय पश्चात् किसान और उसकी बेटी भी वहाँ जा पहुँचे। उसने किसान के सामने एक प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव यह था कि यदि उसने अपनी बेटी का विवाह उसके साथ कर दिया तो वह उसका पूरा ऋण ब्याज सहित माफ़ कर देगा। साहूकार के इस बेतुके प्रस्ताव से पिता-पुत्री दोनों भयभीत हो गए। धूर्त साहूकार ने पुनः सुझाव देते हुए कहा कि इसका निर्णय न मैं करूँगा न आप। इसे आप अपने भाग्य पर छोड़ दें। इतना कहकर उसने अपनी जेब से एक ख़ाली थैली निकाली और उसे दिखाते हुए कहा कि मैं इसके अंदर एक काला और एक सफ़ेद कंकड़ डालता हूँ। अब तुम्हारी बेटी को बिना देखे इस थैली में से एक कंकड़ निकालना होगा और यहॉं शर्त यह रहेगी कि:-
यदि उसने काले रंग का कंकड़ निकला तब उसे मुझसे विवाह करना होगा और तुम्हारे सारे ऋण ब्याज सहित माफ़ कर दिए जाएँगे
यदि तुम्हारी बेटी ने सफ़ेद रंग का कंकड़ निकाला तब इसे मुझसे विवाह नहीं करना होगा और फिर भी सारे ऋण ब्याज सहित माफ़ कर दिए जाएँगे।
यदि इसने कंकड़ निकालने से मना कर दिया तो फिर तुम्हें जेल जाना होगा। जब किसान और उसकी बेटी आपस में विचार-विमर्श कर रहे थे तभी साहूकार अचानक कंकड़ों को उठाने के लिए नीचे झुका और उसने जैसे ही दो कंकड़ों को उठाया उसी समय किसान की बेटी की नज़र उस पर पड़ी। उसने देखा कि साहूकार ने दोनों काले रंग के कंकड़ थैली में रखे हैं। साहूकार ने लड़की को थैली में से एक कंकड़ निकालने को कहा। किसान की बेटी ने साहूकार के कहे अनुसार थैली में से एक कंकड़ निकाला और बिना देखे हुए जानबूझकर धीरे से उछाल दिया जिससे वह कंकड़ नीचे पड़े अन्य कंकड़ों में मिल जाए। उसके बाद लड़की ने झूठा खेद व्यक्त करते हुए कहा, “ ओह, मैं कितनी लापरवाह हूँ।” इस बात पर साहूकार लड़की पर थोड़ा क्रोधित हुआ लेकिन फिर उस लड़की ने स्थिति को संभालते हुए कहा कि चिंता न करें। आप थैली में देखें कि उसमें किस रंग का कंकड़ बचा है। इससे स्पष्ट हो जाएगा कि मैंने किस रंग का कंकड़ निकाला था। यह तो साहूकार को ज्ञात ही था कि थैली में काले रंग का कंकड़ ही होगा क्योंकि उसने दोनों कंकड़ काले रंग के ही डाले थे। इस प्रकार सिद्ध हो गया कि लड़की ने सफ़ेद कंकड़ निकाला था। ऐसी स्थिति में साहूकार चाहकर भी अपनी बेईमानी और धूर्तता को प्रकट नहीं कर सकता था। इस प्रकार लड़की ने बहुत चतुरता से अपने विरुद्ध परिस्थिति को अपने पक्ष में कर लिया।

सीख: किसी भी जटिल समस्या का समाधान सरलता से हो सकता है यदि स्थिति अनुसार हम अपनी सोच और सुलझाने के तरीक़ों को बदल लें।