पिंकी जैन's Album: Wall Photos

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*राजा से सवाल करना पड़ा भारी, थमा दिया तेल से भरा हुआ कटोरा*

उस दिन भरत महाराज अपने दरबार में बैठे थे। दरबार में प्रजा पर लगने वाले कर पर चर्चा हो रही थी। उसी वक्त एक व्यक्ति दरबार में आया और महाराज भरत से पूछने लगा, ‘महाराज, आप इतने बड़े साम्राज्य का संचालन करते हुए भी जीवन में निर्लिप्त भाव से कैसे रह लेते हैं?’ राजा भरत ने उस व्यक्ति को कहा, ‘तेल से भरा हुआ एक कटोरा लेकर तुम राज्य के सारे बाजारों में घूम आओ। लेकिन ध्यान रहे कि यदि कटोरे में से तेल की एक बूंद भी नीचे गिरा दी, तो तुम फांसी के तख्ते पर लटका दिए जाओगे।’

भरत के आदेश से भयभीत हुआ वह व्यक्ति आदेशानुसार संपूर्ण नगर में पूरी सावधानी के साथ घूमकर राजा भरत के पास लौटा। रास्ते में यद्यपि नृत्य, नाटक, संगीत आदि मनोरंजन के कई आयोजन चल रहे थे, किंतु वह व्यक्ति मृत्यु के भय से किसी पर भी दृष्टि न डाल सका। भरत ने पूछा, ‘तुम पूरे नगर में घूम आए तो बताओ नगर में तुमने क्या देखा?’ व्यक्ति ने उत्तर दिया कि ‘महाराज, मैंने कटोरे के अलावा और कुछ नहीं देखा।’ भरत ने फिर सवाल किया, ‘तुमने नगर में हो रहे नाटक, संगीत आदि मंडलियों के अनेक सुंदर कार्यक्रम नहीं देखे?’

इसपर वह व्यक्ति बोला- ‘राजन, जिसके सामने मृत्यु नाच रही हो, वह नाटक, नृत्य आदि के मनोरंजक कार्यक्रम कैसे देख सकता है? मृत्यु का भय कैसा होता है, यह तो उससे भयभीत ही जानता है। सच यही है कि मैंने कुछ नहीं देखा।’ यह सुनकर महाराजा भरत ने कहा, ‘मैं प्रत्येक क्षण जागरूक रहता हूं। मृत्यु का मुझे हर क्षण ध्यान रहता है। इसलिए साम्राज्य का सुख-वैभव मुझे परेशान नहीं करता। मैं इसका आनंद लेते हुए भी उसमें आसक्त नहीं होता। मैं निर्लिप्त रहता हूं।’ उस व्यक्ति को अपने प्रश्न का उत्तर मिल गया। अब उसकी शंका दूर हो चुकी थी।