ये कैसा ख्वाब है ,आँखों का हिस्सा क्यों नहीं होता.!
दिये हम भी जलाते है उजाला क्यों नहीं होता .!!
मुझे सब से अलग रखना ही उसका शौक था वरना
वह दुनिया भर का हो सकता था,मेरा क्यों नहीं होता
हम ही सोचे ज़माने की ,हम ही माने ज़माने की
हमारे साथ कुछ देर ज़माना क्यों नहीं होता ..!!