क्या जलाया
क्रोध को या
द्वेष को या
ईष्या को
या फिर अहंकार को
या जलाया कठिनता को
गमों को जलाया क्या
बस इन्हें ही जलाना और
बचाना अनुराग को
निश्चल प्यार को
सरल व्यवहार को
बचाना अपने कोमल ह्रदय को
संवेदनाओं को बचाना जलने से
बहुत जरूरी हैं जीवन के लिए
#जलती_होली_कहती_है
#होली_की_रंगो_भरी_रामराम