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* प्रथम नेत्रहीन महिला आई.ए.एस *

आज मैं आपके साथ साझा करने जा रही हूं एक ऐसी साहसी महिला की जीवन की दास्तां जिसने कभी हालातों के आगे हार नहीं मानी बढ़ती रही, अपनी मंजिल की ओर मन में दृढ़ संकल्प लिए।
यह कहानी है फर्स्ट अटेम्प्ट में यूपीएससी की परीक्षा क्लीयर कर देश की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर बनी, प्रांजल पाटिल की। उन्होंने साबित कर दिया कि अगर मन में दृढ़ संकल्प हो तो कोई भी मंजिल मुश्किल नहीं होती है।
बताया जाता है कि जब प्रांजल छठवीं कक्षा में थी तब उसकी सहपाठी द्वारा ही पेंसिल आंख में चले जाने के कारण इनकी एक आंख पूरी तरह से खराब हो गई थी कुछ समय बाद इनकी दूसरी आंख पर भी असर पड़ने लगा जिस वजह से इन्हें 100% ब्लाइंडनेस हो गई। इस हादसे ने उनके जीवन के सारे रंग छीन लिए थे। फिर भी उन्होंने हार नहीं मानी।
प्रांजल महाराष्ट्र उल्लासनगर की रहने वाली है। उन्होंने अपने जीवन में बहुत संघर्ष किया। कभी समाज ने संवेदनशील दृष्टि से देख कर इन्हें लाचार विचारी कहते, तो कुछ लोग अनदेखी करते, जो इनके दिल को बहुत ठेस पहुंचाता क्योंकि सहायता कोई नहीं करता था उनका परिवार ही हमेशा उनका साथ देता।
यह पढ़ाई में बहुत तेज थी। दृष्टि जाने के बाद भी उन्होंने ब्रेल लिपि में अपनी पढ़ाई को जारी रखा। एक सॉफ्टवेयर की मदद से इन्हें पढ़ाई में बहुत मदद मिली। इसी तरह इन्होंने 12वीं की परीक्षा 85% अंकों से प्राप्त की फिर इन्होंने बीए तथा एम ए किया।
ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने यूपीएससी की तैयारी की। यह यूपीएससी की तैयारी कर रही है इन्होंने किसी को नहीं बताया क्योंकि यह जानती थी ,कि अगर किसी को बताया तो सब मजाक उड़ाएंगे और उन्हें निराश करेंगे। वह अपनी तैयारी चुपचाप करती रही इन्होंने बिना किसी कोचिंग के 2015 में तैयारी शुरू की केवल ऑनलाइन जो मटेरियल मिल गया उसी को सुनकर तैयारी की।
2016 में पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी और 733 वी रैंक हासिल कर सफल हुई लेकिन रैंक सुधारने के लिए 2017 में पुनः प्रयास किया जिसमें 124 वीं रैंक हासिल की।
इस तरह प्रांजल पाटिल देश की पहली नेत्रहीन आईएएस ऑफिसर बनी उनकी पोस्टिंग केरल के तिरुवंतपुरम जिले में हुई। नेत्रहीन होने के बावजूद उनके इस जज्बे को देश सलाम करता है।
उनके लिए कुछ पंक्तियां-

"मुसीबतें चाहे जितनी आएंगी ,
मैं बढ़ती जाऊंगी ,
बहती हवा हूं मैं ,
बहती ही जाऊंगी।।"


दोस्तों तो जाना आपने कि कैसे मुश्किल हालातों में भी उम्मीद रखी जाती है। हर एक अंधेरी रात का सूरज अवश्य आता है। अगर आपको भी लगता है कि मेरा जीवन मुश्किल से भरा है तो सोचिए आप से भी मुश्किल जीवन कोई जी रहा है जब वह मुश्किल हालातों से लड़कर अपने जीवन का चमकता सुरज ला सकता हैं तो आप क्यों नहीं? हालात चाहे जैसी भी क्यों ना हो हार मत मानिए, आगे बढ़ते रहिए ।अपनी कमजोरी पर नहीं, अपने अंदर छिपे हुए टेलेंट पर ध्यान दिजिए।