लॉकडाउन में जब हमारा शिल्पा बिंदी का पत्ता
हो गया ख़त्म
तो हमने उन्हें आवाज़ लगायी
और बिंदी ना लगा पाने की
वजह बतलाई।
वो घबराने लगे,
भीतर भड़भड़ाने लगे..
बोले कि कैसे पत्नी हो तुम?
बाहर करोना काल है,
जीवन वैसे ही बेहाल है,
ऊपर से तुम ये ज़ुल्म सरेआम कर रही हो,
हमें बिना टिकट पहुँचाने का इंतज़ाम कर रही हो ?
वो बाथरूम में बंद हो गए,
घंटे कुछ चंद हो गए,
मन घबराने लगा,
BP ऊपर जाने लगा,
कि तभी दरवाज़ा खुला
उनके चेहरे पे हंसी थी,
बिंदी की जीवन में गंभीरता बड़ी थी..
कहने लगे माफ़ करना
हम बेवज़ह ही बिचके थे,
हम तो बाथरूम की दीवार पे
जग़ह- जग़ह चिपके थे..
देखो ना जाने कहाँ कहाँ से खुद को हटाया है
और ये शिल्पा बिंदी का नया पत्ता
सिर्फ तुम्हारे लिए बनाया है..
चलो हर रोज़ की तरह
हमारा जीवन बचा लो..
सांस भारी हो रही है,
अब जल्दी से इसे लगा लो..