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आपने ऋतिक रोशन की ” लक्ष्य ” फिल्म तो देखि होगी. उसमे पूरी सच्चाई नहीं थी, पूरी सच्चाई आज हम आपको इस आर्मी स्टोरी के ज़रिये सुनाने जा रहे है. 4 जुलाई 1999 का दिन था जब ” घातक ” नाम की पल्टन को कारगिल में टाइगर हिल पर कब्ज़ा करने के लिए भेजा गया. योगेंद्र सिंह उस पल्टन में सूबेदार थे. टाइगर हिल एक पहाड़ी थी जो सीधा खड़ी थी और जिसकी लम्बाई लगभग 16,500 फ़ीट थी. सबसे बड़ी दिक्कत ये थी कि किसी ना किसी को पहाड़ी पर चढ़ कर रस्सियां बांधनी थी ताकि सभी फौजी पहाड़ पर चढ़ सके. दुश्मन के बंकर पहाड़ के ऊपर थे और उन तक पहुँचने के लिए पहाड़ को चढ़ना ज़रूरी था.
उस वक्त सूबेदार योगेंद्र सिंह आगे आये और पहाड़ पर चढ़कर रस्सियां लगाने का काम शुरू किया लेकिन पहाड़ी पर बैठे दुश्मन ने उन्हें देख लिया और ऊपर से गोलियां चलनी शुरू कर दी. उस हमले में पल्टन के कमांडर और 2 सैनिक शहीद हो गए. उस हमले में सुब्दार योगेंद्र सिंह को कंधे और पैर में कई गोलियां लगी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और रस्सियां बांधते रहे. उन्होंने काफी देर तक घायल हालत में इंतज़ार किया, उस वक़्त वे पहाड़ी पर ही लटके हुए थे. कुछ देर बाद दुश्मन को लगा कि सभी हिंदुस्तानी सैनिक मर चुके है, लेकिन ऐसा नहीं था. 15 घंटे इंतज़ार करने के बाद घायल योगेंद्र सिंह फिर से पहाड़ी पर चढ़े और अपनी पल्टन के बाकी बचे सैनिको को इशारा किया कि अब वो भी छुपते हुए पहाड़ी चढ़कर ऊपर आ जाए.
बस फिर क्या था, सूबेदार योगेंद्र सिंह ने पहाड़ी के ऊपर चढ़ते ही एक ग्रेनेड दुश्मन के बंकर में फेंक दिया जिससे उस बंकर में बैठे सभी दुश्मन सिपाही मारे गए. तभी वहा बैठे बाकी दुश्मन सैनिको में हड़कंप सा मच गया लेकिन घायल योगेंद्र सिंह आगे बढ़ते रहे और दुश्मन की गोलियों से बचते रहे. इतनी देर में नीचे से बाकी हिंदुस्तानी सैनिक भी ऊपर आ गए और उन्होंने बड़ी बहादुरी से दुश्मनो का सामना किया और उन्हें टाइगर हिल से भगा दिया. इस तरह सूबेदार योगेंद्र सिंह ने अपनी पलटन का साथ दिया और टाइगर हिल पर कब्ज़ा करने में सहयोग दिया.
इतनी गोलियां लगने के बाद योगेंद्र सिंह को मिलिट्री हॉस्पिटल ले जाय गया जहाँ डॉक्टर ने बोल दिया था कि इनके बचने की उम्मीद बहुत कम है लेकिन योगेंद्र सिंह ने मौत को भी चकमा दे दिया और कुछ दिनों में बिलकुल स्वस्थ हो गए. सूबेदार योगेंद्र सिंह पहले ऐसे आर्मी के सैनिक है