आदरणीय मोदी जी, आप तो मेरी जान हैं।मगर, आप ने कहा था कि मैं भी ग़लत करूँ तो मेरा हाथ पकड़ लेना। आप तो ग़लत करते नहीं, लेकिन आपके माध्यम से या नाम के कारण जो पदाधिकारी, मंत्री और मुख्यमंत्री, अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं और समर्थकों की न सुनें,उनकी जड़ें काटने पर तुला हो, कार्यकर्ताओं और समर्थकों की बजाय चालाक सिस्टम पर और अपने मंज़ूर नज़र या बिरादरी पर आँख मूंदकर भरोसा करे और बाकी किसी भी कार्यकर्ता, मंत्री और समर्थक की नहीं सुने खुद कैसे भी शासन चलाये, कार्यकर्ताओं और समर्थकों को ईमानदारी,न्याय, अनुशासन, धर्म और राष्ट्रवाद का पाठ पढ़ाये। तो क्या करें?कहाँ जायें?किस से कहें? या आगामी चुनाव में नारे लगायें कि मोदी तुझसे बैर नहीं
.......तेरी खैर नहीं। मतलब उनकी ही तरह धोखा देने पर मजबूर करने का गुनहगार कौन?
तंग आमद-जंग आमद