वो लॉकडाउन का खुला उल्लंघन करते हैं। कानून को नहीं मानते। देश में आतंकवाद, षड्यंत्र करते हैं दूसरों से नफ़रत करते हैं दिन-रात धोखे देते हैं। फिर भी सरकार जबर्दस्ती इलाज कर रही है, जो उसे कभी समर्थन नहीं दे सकते। योजनाओं,राशन, सरकारी अनुदान इलाज का लाभ उठाने में सबसे आगे रहते हैं। टैक्स न देना, कानून तोड़ना, आतंकवाद, देशविरोधी गतिविधियों को करना सवाब समझते हैं। क्या एैसे लोग देश के लिये नासूर नहीं हैं?इन नासूरों और इनके सीक्यूलर हिमायतियों का सरकार को क्या करना चाहिये? यदि नहीं करती है तो क्या ये तुष्टिकरण नहीं है?