रुक जाती हे सांस जब होती हे तंग धमनिया,
तुम तंग दिल से ये संसार जीतने चले हो!
नहीं सह पाते हो छोटी सी अपनी आलोचना,
और तुम अपने को मुरलीधर मान बैठे हो!
नहीं हे प्यार दिल में और मुस्कान होंठो पे,
और तुम किसी के भगवान बनने चले हो!
अरे दोस्तों प्रेम नहीं हे नाम सिर्फ पा जाने का,
क्यों एसिड फेंक इसे बदनाम करने पे तुले हो!