खाली दिमाग शैतान का घर होता है, बचपन में दादी से सुना था, बीच बीच में अनुभव तो हुआ लेकिन यकीन नहीं होता था.
अब दिल्ली का माहौल देख के ऐसा ही लगता है. अरे भाई एक तो दिल्ली बिधानसभा के पास है ज्यादा विषय नहीं है कानून बनाने के लिए.
दूसरा उनके विधायकों को आपने संसदीय सचिव नहीं बनने दिया, सो खाली बैठे है,
तीसरा उनके मुखिया जो बिलकुल ही खाली बैठे है, पहले थोड़ा बहुत टाइम नमो निंदा और फिल्मे रिव्यु में निकल जाता था आजकल बो भी बंद है.
आदमी करे तो क्या करे??
फिर क्या दे दिया खाली दिमाग शैतान को किराये पे. नतीजा? अरे भाई देख रहे हो ना, थोड़ा टाइम ठोकने में , थोड़ा भागने में और थोड़ा थाने में, बस कट रही है!
क्या जिंदगी, अरे नहीं भाई सरकार. दिल्ली कि सरकार.
जय हिन्द