इसको कहते है सौ साल की योजना.
कोई उधोगपति भी इतनी अच्छी योजना नहीं बना सकता जितनी नेता और बाबू लोग मिलके बनाते है.
पहले 75 साल तक बांध बनाने के नाम पे पैसे लेंगे. जब बाँध बनेगा तब तक नदियाँ समाप्त हो जाएँगी, फिर अगले 25 साल बांध को भरने के नाम पे लूटे जायेंगे.
उधोगपति तो फालतू बदनाम है. और हा सत्ता और सरकार बदलने से नेताजी और बाबूजी का चरित्र नहीं बदलता.
ईमानदार नेताओ और अधिकारिओ को बनवास
भृष्ट जमात को लक्ष्मी, पद सुविधाओं का सहवास!