जो प्रेम में रोया न हो, जिसने प्रेम का विरह जाना न हो, उसे तो प्रार्थना की और इंगित भी नहीं किया जा सकता। इसलिए मैं प्रेम का पक्षपाती हूँ, प्रेम का उपदेष्टा हूँ। कहता हूँ की खूब प्रेम करो, क्योंकि प्रेम का निचोड़ एक दिन प्रार्थाना बनेगा। प्रेम के हज़ारों फूलों को निचोड़ोगे तब कही प्रार्थना की एक बूँद एक इत्र की बूँद बनेगी।