मत सोचो की तुम्हारा सच्चा मित्र कौन है बल्कि ये सोचो कि तुम किसके सच्चे मित्र हो
जो तुम्हारे पास है, वह बेकार है
जो दूसरों के पास है, वो स्वर्ग है
जब तक मैं उसे पा न लूँ तब तक बेचैनी रहती है
और पाते ही वो मेरे लिए बेकार हो जाती है
अब फिर दूसरे पर नजर जाने लगी…