कोई भी व्यक्ति कोर्ट फ़ीस देने में असमर्थ होता है तो वह सिविल प्रक्रिया संहिता, 1908 का आदेश 33 (ORDER XXXIII) के अनुसार अपना मुकदमा बिना कोर्ट फ़ीस के अदालत में दर्ज करने में सक्षम होता है। कोई निर्धन व्यक्ति है या नहीं जाँच करने के लिए न्यायालय के मुख्य लिपिकवर्गीय अधिकारी द्वारा जाँच करवाई जाती है। ऐसे अधिकारी की रिपोस्ट को अपने निष्कर्ष के रूप में स्वीकार करनेका पूर्ण अधिकार न्यायालय को