राजीव तोमर's Album: Wall Photos

Photo 27 of 2,677 in Wall Photos

देश के आर्थिक हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जीडीपी की वृद्धि दर धीमी पड़ रही है, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट जारी है, खेती का संकट गम्भीर होता जा रहा है, बेरोज़गारी विकराल रूप में आ चुकी है, ग़रीब किसान, मज़दूर और युवा आत्महत्याएँ कर रहे हैं औद्योगिक उत्पादन में गिरावट लगातार जारी है। देश के कुल औद्योगिक उत्पादन में लगभग आधे का योगदान करने वाले ऑटोमोबाइल उद्योग की सभी बड़ी कम्पनियों को बीच-बीच में उत्पादन ठप्प करना पड़ रहा है, लाखों गाड़ियाँ बिना बिके सड़ रही हैं, सैकड़ों शोरूम बन्द हो गये हैं और लाखों रोज़गार छिन रहे हैं। पिछले अगस्त में देश के कारख़ानों की कुल पैदावार में कमी आ गयी थी।, जोकि व्यापक आर्थिक मन्दी के गहराने का एक और संकेत है।कारख़ाने ठप हो रहे हैं और बेरोज़गारी चरम पर जा पहुँची है, काम के बग़ैर मज़दूरों के परिवार दाने-दाने के मोहताज हो गये हैं। मन्दी की आड़ लेकर कम्पनियाँ काम बन्द कर रही हैं और मज़दूरों को निकाल रही हैं, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण मानेसर का होण्डा मोटरसाइकल कारख़ाना है जहाँ से 3000 मज़दूरों को बाहर कर दिया गया है। हर औद्योगिक क्षेत्र में बेरोज़गार मज़दूरों की बदहाली की दास्तान सुनने को मिल जायेगी। बेरोज़गारी की स्थिति का फ़ायदा उठाकर मालिक और ठेकेदार मज़दूरों पर मनमानी शर्तें लाद रहे हैं। कम से कम मज़दूरी देकर ज़्यादा से ज़्यादा काम ले रहे हैं। दफ़्तरी कामों में लगे नौजवानों को भी भयानक शोषण की परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है। 6000-7000 रुपये में 10-10 घण्टे काम कराया जा रहा है। पिछले एक साल में लगभग 40 हज़ार दिहाड़ी श्रमिकों, किसानों-खेत मज़दूरों ने आत्महत्या की है। छात्रों और बेरोज़गार नौजवानों द्वारा हताशा में आत्महत्या की घटनाओं में भी भारी बढ़ोत्तरी हुई है।