गरिमामयी गाथा हो तुम,
सशक्त राष्ट्र की परिभाषा हो तुम,
सौंदर्या सूरत ही नहीं बस,
शौर्य गाथा भी हो तुम,
रानी लक्ष्मीबाई सी है वीरता,
माँ सीता जैसी धीरता।
कल्पना की अंतरिक्ष उड़ान हो तुम,
देश का अभिमान हो तुम,
हो पद्मावती की जौहर ज्वाला,
सावित्रीबाई सी ज्ञान उजाला।
हे नारी,
पिंजरा तोड़- दीवार गिराओ,
प्रगति के पथ पर यूँही बढ़ती जाओ।