अगर कोई व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित है और उसे अप्रत्याशित बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है तो उसे अपने पूर्वजों का श्राद्ध कर्म संपन्न करना चाहिए। वे भले ही अपने जीवन में कितना ही व्यस्त क्यों ना हो लेकिन उसे अश्विन कृष्ण अमावस्या को श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।
बृहस्पतिवार के दिन शाम के समय पीपल के पेड़ की जड़ में जल चढ़ाने और फिर सात बार उसकी परिक्रमा करने से जातक को पितृदोष से राहत मिलती है।
सवा किलो चावल लाकर रोज अपने ऊपर से एक मुट्ठी चावल सात बार उतारकर पीपल की जड़ में डाल दें। ऐसा लगातार 41 दिन करें।
घर में श्रीमद्भगवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें।
हर चतुर्दशी (अमावस्या और पूर्णिमा के एक दिन पहले) को पीपल पर दूध चढ़ाएं।
काले कुत्ते को उड़द के आटे से बने बड़े खिलाएं हर शनिवार को।
शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार को शाम के समय पानी वाला नारियल अपने ऊपर से सात बार वारकर बहते जल में प्रवाहित कर दें और अपने पूर्वजों से मांफी मांगकर उनसे आशीर्वाद मांगे।
अपने मृतक रिश्तेदारों के निमित्त मंदिर में या ब्राह्मणों को दान दें।
अपने भोजन की थाली में से प्रतिदिन गाय और कुत्ते के लिए भोजन अवश्य निकालें और अपने कुलदेवी या देवता की पूजा अवश्य करते रहें। रविवार के दिन विशेषतौर पर गाय को गुड़ खिलाएं और जब स्वयं घर से बाहर निकलें तो गुड़ खाकर ही निकलें। संभव हो तो घर में भागवत का पाठ करवाएं।
शुक्लपक्ष के प्रथम रविवार के दिन जातक को घर में पूरे विधि-विधान से ‘सूर्ययंत्र’ स्थापित कर सूर्यदेव को प्रतिदिन तांबे के पात्र में जल लेकर, उस जल में कोई लाल फूल, रोली और चावल मिलाकर, अर्घ देना चाहिए।