लक्ष्य हो "अखंड भारत ",
हिंदू मुस्लिम भेद नहीं ।
आंख दिखाएं जो हमें,
उसकी भी खैर नहीं ।।
चक्रव्यूह में फंसे ऐसा अभिमन्यु नहीं,
बन जा तू वीर ऐसा "सावरकर" की ना हो कमी।
शक्ति को पहचान कर "भक्त हनुमान" बन,
धर्मराज बनकर के धर्म का तू कार्य कर।।
आ गई विपत्ति फिर तुम "विक्रमादित्य" को याद कर,
ज्ञान में ही वृद्धि करना हो अभी तुम्हारा लक्ष्य।
हर परिस्थिति के लिए खुद को तैयार कर,
बनाकर एक लक्ष्य को, "जय श्री राम "की हूंकार भर।।
सनातनियों की जीत होगी, "भोले" कहता है हो "निडर"!
जय हो !!सनातन धर्म और संस्कृति की।