"संदेश हमी को है"
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कोई मजहब ऐसा है जो खुनो का प्यासा है !
करते इंसानों से गद्दारी पर - अनदेखे अल्लाह पे भरोसा है,
अनदेखे अल्लाह पे भरोसा है !!
खून हो जो बाबर का जो तैमुर का वंशज था !हम उस पे भरोसा करते जो सदियों से पराया था !!
सोमनाथ को तोडा था, पुरे भारत को लूटा था !
सर संतो का काटा था , मील गया मौका तो जमीन औरत भी छीना था !!
जिसके दिल में भरा हो नफरत - हमने उसे मुहब्बत की !
जब जरुरत था इन्हें खून की हमने घर वार भी बेचा था,
आंचल भी बाटा था हमने घरद्वार भी बंटा था !!
कटता जब सिर जवान की, तब ये ताली बजाती है ! अगर मरके हम दो रोटी लाए तो ये थाली बजाती है !!
वीरों को घायल पीड़ा में कहीं बत्ती जब बुझती है ! हजारो आँखे नम होके जब रातों को रोती है !!
ह्रदय फट जाती, आँख सागर बन जाता ,घायल मन से दो शब्द होठों पे ठहर जाता !!
दोस्तों जिसे हमने आखों में छुपाया था, दिल चीर के देखा तो मेरे नाम का एक प्याला था !!
अमृत तो लिखा था उसपे, पर जहरों में घोला था !!
हमारे बाप दादों ने - अमृत - समझ बैठे थे, वो हंस के पिया था !
लेकिन एक शब्द आँखो में लिख छोड़ा - जो सन्देश हमीं को था जो सन्देश हमीं को था !!