यह २०११ की स्थिति है सोचे यदि चम्बल सी पीने का पानी ग्वालियर और जाने लगा तो क्या होगा ?
इंडिया वाटर पोर्टल से साभार
इतनी सिमट गई है चंबल कि कर सकते हैं एक छलांग में पार
चम्बल
मध्यप्रदेश की सीमा में चंबल नदी को अब लांघकर पार किया जा सकता है। चंबल नदी की धार की चौड़ाई (लेट्रल डिस्ट्रीब्यूशन) 14 जगहों पर डेढ़-दो फीट ही रह गई है। जबकि बारिश के मौसम में इन्हीं स्पॉट पर चंबल 900 मीटर की चौड़ाई में बहती है। वन मंत्रालय के एक सर्वे में यह खुलासा हुआ है।
हाल ही में 4 जून को दिल्ली में आयोजित एक बैठक में वन मंत्रालय द्वारा सरकार को रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट में चंबल नदी के विभिन्न पहलुओं पर काम रही सात राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने गहरी चिंता जताई। बैठक में वाइल्ड लाइफ जू कोटा, वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट इंडिया देहरादून, मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट तमिलनाडु, नेशनल चंबल सेंचुरी, वल्र्ड वाइड फंड ऑफ नेचर इंडिया, एनसीएसपी आगरा सहित वन विभाग कोटा व मुरैना के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
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