देशभक्ति वो जज़्बा है जो विरासत में आता है...!! ज़रूरी नहीं की सैन्य में भरती होकर ही उसे निभाया जाये या जीया जाये... देश के हित में अगर आप कुछ भी सोचते हो, करते हो या जीते हो उसे भी देशप्रेम ही कहते है... अगर किसी सैनिक की मृत्यु पर तुम्हारे आँसूं न निकले और उसके कारनामे पर तुम्हारी छाती चौड़ी न हो जाए तो तुम बेहद स्वार्थी है जो सिर्फ खुद के लिये जीते हो... आज भी सिनेमाघर या किसी भी पब्लिक प्लेस या चाहे एकांत में भी अगर जण गण मण सुनकर तुम्हारे रौंगटे हर बार की तरह उसी गति से खड़े न हो जाए तो देशभक्ति की बातें केवल एक दिखावा है... जिस देश में रहते है उसी देश को गाली देने लगे तो आप उस देश के साथ नमकहरामी कर रहे है... और देश के बाहर रहकर भी जो बैठे बैठे अपने देश को कोस रहा है कि India ये है वो है वो सही मायनो में देशद्रोही कर रहा है...
चाहे तुम किसी भी कम्युनिटी का हिस्सा हो, चाहे तुम अमीर हो या भिखारी हो, चाहे तुम किसी भी लीडर को फोलो करो, चाहे तुम किसी भी दैव्य शक्ती की पूजा आरधना करो, चाहे तुम किसी भी राजनैतिक दल का हिस्सा बनो, चाहे तुम सरकारी नौकर बनो या विदेशी कंपनी के गुलाम बनो, तुम्हारी देशभक्ति को कभी तुम्हारी पसंदगी, जाती या प्राथ्मिकता से नापा नहीं जा सकता... क्यूँकी सब चीज़ों से ऊपर है देश... और देश से आगे न तुम हो मैं... और अगर ये एहसास और जज़्बा तुम में है तो तम्हें देशभक्त कहलाने से कोई नहीं रोक सकता...
बहुत आसन ज़िंदगी जी रहे है हम क्यूँकी हमारे असंख्य देश्प्रेमीओं मिट्टी में अपनी जान भरकर हमें ये सुकून भरी ज़िंदगी जीने का अवसर प्रदान किया है, और बदले में हमे उसका रुतबा और उसकी इज़्ज़त बनाये रखनी रखनी है...
अगर देश के लिये कुछ कर सको या ना कर सको लेकिन इतना ज़रूर करना हमारे देश की बुराई करनेवालों को कभी माफ़ ना करना.....
देश सर्वोपरी है बाद में जाती, परिवार और फिर तुम... और ये जज़्बा हमें पीढी दर पीढी आगे बढ़ाना है.. जैसे हमारे माता पिता से हमें मिला वैसे हमारे बच्चे हमसे लेंगे.. इतने स्वार्थी मत बन जाना कि आनेवाली पीढ़ी प्रेम तो याद रखे लेकिन "देश" भूल जाए......!