महावीर गंज भिण्ड में नगरपालिका परिषद भिण्ड द्वारा जैन समाज को समर्पित यह सुंदर कीर्तिस्तम्भ निर्माण किया गया है। शासकीय भूमि पर सफेद संगमरमर से निर्मित यह अद्भुत कलाकृति है। अधिकांश लोग इससे खुश भी होंगे। परन्तु विचारणीय प्रश्न यह है कि शाम ढलते ही लोग जूते पहने इस पर आराम भी फरमाते है, हो सकता है रात को कुछ दारू पार्टी भी इस पर हो जाती हो (संभावना है) अब कुछ समय बाद ही जैन समाज से ही असन्तोष के स्वर उठेंगे कि यह गलत है, हमारे धर्म और समाज का अपमान है आदि आदि। परन्तु ऐसे प्रतीकों को सार्वजनिक स्थलों पर स्थापित ही क्यों किया जाता है जहाँ कोई भी सिरफिरा उसको अपमानित कर सके।
यही हाल गांधी जी और अम्बेडकर जी की प्रतिमाओं का भी है। सार्वजनिक स्थान पर होने से कोई भी उन ठ पहुंच जाता है। और छेड़छाड़ होने पर अक्सर तनावपूर्ण हालात हो जाते है।। मेरा निवेदन है कि सरकार को अध्यादेश लाकर प्रतिमा सुरक्षा अधिनियम लाना चाहिये, जिसमे प्रत्येक ऐसी प्रतिमा या प्रतीक को उसके अनुयायियों के जिम्मेदार समूह को सौप दिया जाए। और जहाँ कोई सुरक्षा की जिम्मेदारी लेने वाला न हो वहां से प्रतिमा ओर प्रतीक हटा देनी चाहिये।