क्या भारत की किसी सरकार में ये ताकत थी कि वो जनता के अरबों रुपये खर्च करके बनवाये गये मायावती के बंगले को खाली करवा पाती? कभी नहीं। क्योंकि मायावती ने जीवन में सिर्फ बंगलों की ही राजनीति किया है।
लेकिन इन बुजुर्ग व्यक्ति ने १४ साल की लंबी कानूनी लड़ाई लड़कर जनधन का दुरुपयोग करनेवालों को बता दिया कि कोई कानून से ऊपर नहीं है। अगर माननीय कानून का दुरुपयोग करेंगे तो उन्हें चुनौती दी जा सकती है।
एक रिटायर्ड आईएसएस रहे एस एन शुक्ला ने अपनी संस्था लोक प्रहरी के माध्यम से अब तक दो केस जीते हैं और दोनों ही लोकतंत्र में लोक की रक्षा के सबसे अहम हथियार साबित हुए है। पहला, सजायाफ्ता अपराधियों के चुनाव लड़ने पर रोक और दूसरा अब पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगला देने पर रोक।
ऐसे ही लोग लोकतंत्र की जान है जो सुविधाभोगी भेड़ियों से जन के धन और मान सम्मान की रक्षा करते हैं। उन्हें सबक सिखाते हैं जो लोकतंत्र में लोक का दुरुपयोग अपने निजी फायदे के लिए करते हैं।