रामायण,महाभारत,चंद्रकांता,जय श्री कृष्णा धारावाहिक देखते समय 6 बार बिजली कटती थी विज्ञापन आते तभी रहती थी बस। दो फेस लाइट को मिला कर एक फेस बनता था।
हर घर के पीछे अर्थिंग का एक सरिया गड़ा हुआ रहता था उसमे रोज शाम को पानी डालो तब जाकर लट्टू के अंदर का तार चमकता था। रोड के ये हाल थे कि ट्राली ज्यादा भरली तो ट्रेक्टर कीचड़ में खप दूसरे ट्रेक्टर से निकलवाना पड़ता था। दूल्हे की बारात जाती थी तो रोड के तो अते पते थे नही। हर रोड के बगल से खेतों में से सर्विस रोड निकलती थी क्यों कि रोड तो सिर्फ खाना पचाने के लिए होते थे। अब जब दूल्हा ससुराल पोहचता तो ससुराल वाले पूछते कि दूल्हा कौन है हाथ उठा दे। क्यों कि खेतों की धूल के अनान्द सब उठा कर आये तो दूल्हा किस खेत की मूली है।
सरकारी स्कूल बच्चों को ही खोलने पड़ते थे टांट पट्टी खुद ही बिछाओ घंटी भी बजाओ और एक बाल्टी पानी भी भर के रखो पीने का । बरसात के आधे दिनों तक स्कूल बंद रहते थे छत के कारण से । बारिश में बच्चा दूसरे गांव से आता तो पूरा कीचड़ में लथ-पथ मारसाहब कहते सीधे खेत से आ रहे हो क्या कंवर। रोड नही होती तो लेट हो जाते पैदल आते-आते रोज खुराक मिलती मारसाहब के हाथों ।
खेतो में बिजली के ये हाल थे कि स्टार्टर में लकड़ी का टेका लगाना पड़ता था। क्यों कि वोल्टेज ही नही आता था। युवाओं का मुख्य व्यवसाय जली हुई पानी की मोटर भरना था गाँव मे। पाइप का पानी खेत तक नही पोहोंचे उससे पहले लाइट गोल खेत मे पानी देने वाला चक्कर लगा लगा कर घनचक्कर हो जाता था ।
ऐसा था राजा जी का राज। 10 साल बैमिसल।