दोस्तों,
INBOOK जिसका मतलब है आपके मन की किताब।एक ऐसी किताब जिसमें हम सभी मित्रता के माध्यम से अपनो के निरंतर सम्पर्क में रहकर अपनी खुशी ,गम, एहसास,विचार, सहमति,असहमति के रूप में अपनी बातें अपनों के सामने सहजता और सरलता से रखते हैं। चूँकि यह एक सार्वजनिक मंच भी है,जिस पर सभी को अपने विचार व्यक्त करने की पूर्ण आजादी है तो जाहिर है कि ये मंच राजनीति से अछूता तो बिल्कुल नहीं रह सकता। लेकिन राजनीति के भी कुछ नियम मर्यादा है जिसमें आरोप, प्रत्यारोप,तर्क,कुतर्क आम बात है,लेकिन हमें ये नहीं भूलना चाहिए कि इनबुक नेटवर्क आपका अपना स्वदेशी सामाजिक नेटवर्क है,इस नेटवर्क पर हम किसी से सहमत ना हो तो भी उसके विचारों के प्रति असभ्य, अमर्यादित,अश्लील शब्दों से अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत न करें बल्कि एक सभ्य उचित तरीके से इसके विपक्ष में अपनी बात रखें।उससे एक दूसरे को सुखद अहसास होगा और हमारे निजी सम्बन्धो में कटुता ना होकर मजबूत स्थिति उत्पन्न होगी।
हम देख रहे है कि दूसरे नेटवर्क पर किस तरह लोग मूर्खता प्रदर्शित कर रहे हैं ,हमें इससे बचना होगा।
दोस्तों, सभ्य विरोध लोगों को आकर्षित कर आपकी पहचान बनाता ओर बढ़ाता ह ओर शायद आपसे सहमत भी हो जाए लेकिन असभ्यता,अश्लीलता और अमर्यादित शब्दों को पढ़कर आपके पड़ोसी,रिश्तेदार ,दोस्त और महिलाएं आपको कहें बेशक कुछ नही लेकिन यकीन मानिए वो सभी आपको सदैव मन में बुरी छवि रखकर हीन नजरों से ही देखेंगे।
हो सकता है आप मेरे इस विचार से संतुष्ट ना हो लेकिन फिर भी मैं अपने विचार प्रकट करने को पूर्ण स्वतंत्र हूँ।
दोस्तों, यदि हमें कुछ नया करना है तो दुनिया की भेडचाल और नकल से बचना है और सोचना है कि जो विचार हम प्रस्तुत कर रहे है उससे किसी व्यक्ति,समाज व देश को क्या मिलने वाला है!!
विचार अवश्य करें।