बेटा बीमार तो खर्च घरवाले करें
बहू बीमार तो खर्च मायके के सर
अजीब सा लगता है
शादी के बाद जब बेटा बीमार होता है तब उनके घर वाले उसकी treatment करते हैं
पर जब बहू बीमार होती है तब वही ससुराल वाले मुंह टेड़ा कर लेते हैं, जैसे वो घर की member ही नहीं है, जैसे बीमार होकर उसने कोई गुनाह कर दिया हो. खर्च तो करते हैं, इलाज तो करवाते हैं, पर रो रो कर, सच्चे मन से नहीं. उन्हें इतनी भी समझ नहीं है कि अब बहू उनके घर की सदस्य बन चुकी है, अब सब कुछ उन्हें ही करना है, पर ये समझे कौन ? कई बार तो सास ससुर पति, बीमार पत्नी को इलाज के लिए मायके तक भेज देते हैं, कहते हैं जाओ, मायके जाकर इलाज भी कराओ और वहां जाकर आराम भी करो, नौटनकी कहीं के, actually उनका मकसद होता है इलाज खर्च से भागना, क्योंकि वो दूसरे घर की है, घर काम के लिए हमारी बहू, पर जब बीमार पड़े, इलाज खर्च के लिए मायके वाले.
वहीं जब खुद की बेटी बीमार पड़ती है और मायके इलाज के लिए आती है, तब उन्हें हकीकत समझती है. Then they feel the reality.
बहू को बेटी ही समझें
जैसे बेटे का इलाज करवाते हो वैसे ही बीमार होने पर बहू के इलाज को भी ignore न करें, क्योंकि अब वो आपके घर की है, आपके घर की बहू है, सदस्य है.
ये post सिर्फ कुछ
बेशर्म ससुराल वालों के लिए.