प्रश्न-अर्जुन। हे केशव -तो क्या द्रौपदी वस्त्र हरण पर मुझे क्रोध नही आना चाहिए-?
उत्तर- कृष्ण-ये निर्णय तो स्वयं तुम्हे लेनी है पार्थ किन्तु द्रौपदी वस्त्र हरण केवल तुम्हारी ब्यक्तिगत समस्या नही है पार्थ जो समाज इंद्रप्रस्थ की पटरानी महाराज द्रुपद की पुत्री और पांडवों की पत्नी द्रौपदी के वस्त्र हरण पर चुप रह गया वो समाज भला किसी साधारण नारी के मान-सम्मान की क्या रक्षा करेगा द्रौपदी वस्त्र हरण एक सामाजिक समस्या है पार्थ और ये तुम्हारा कर्तब्य है कि तुम उन शक्तियो को नष्ट करने के लिए युद्ध करो जो किसी द्रौपदी का वस्त्र हरण कर सकती है ये शक्तिया समाज की शत्रु है पार्थ और जो महापुरुष इस युद्ध मे उन शक्तियो के पछ में है उनके पछ में युद्ध करने आये है उनसे युद्ध करने में भी संकोच ना करो अपने ब्यक्तिगत क्रोध और ब्यक्तिगत मोह के बंधनों से मुक्त होकर लोक कल्याण के लिए युद्ध करो पार्थ यही तुम्हारा परम कर्तव्य है!...........................
( NOTE-ये वही समाज है जो तब भी एक नारी की रक्षा नही कर पाया और अंधो की तरह एक नारी का अपमान होते चुपचाप देखता रहा और आज भी वही समाज है जो अपने ही लाखो-करोड़ो बहु बेटियो की रक्षा नही कर पा रहा और बस मूकदर्शक होकर अंधो की तरह सीना तान के धार्मिक होने का ढोंग रचता है लेकिन कब तक। तब द्रौपदी ने सवाल किया मेरी क्या गलती है-? जवाब किसी के पास ना तब था ना अब है एक बार जय श्री राम ,और अल्लाह हो अकबर, बोलने से पहले सोचियेगा जरूर ..जवाब है आपके पास इन लाखो-करोड़ो द्रौपदीयो के सवालों का-?? .