संजीव जैन's Album: Wall Photos

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आदमी को शादी करने के बाद ही पता चलता है कि उसे उसकी अम्मा वह जरूरी चीज सिखाना भूल गई है जो उसे सबसे पहले सिखाई जाना चाहिये थी !
आपकी अम्मा आपको चलना सिखाती है ! लोगो से मिलने जुलने और बतियाने का सलीका सिखाती है ! पढने लिखने के लिये उठा देती है वक्त पर ! जितना पढा सके ,उतना खुद पढा भी देती है ! और उसकी ये मेहनत काम आती भी है ! अफसर होते है आप और अफसरी की बदौलत किसी सुंदर ,सुशील कन्या के पति होकर सम्मानित होते हैं ! और पति होने के फौरन बाद आप को यह ज्ञान मिलता है कि आपकी अम्मा परवरिश मे चूक कहाँ कर बैठी थी !
यह जानने का सबसे पहला मौका होता है सरकारी दौरा ! सरकारी आदमी तभी सरकारी होता है जब वो सरकार के खर्च पर टूर करे ! दूर दूर तक जाये ! वहाँ ऐसी मिटिग्स और सेमीनारो का हिस्सा हो जिनका कभी कोई मतलब नही होता !
शादी के बाद आप किसी दिन ऐसे ही किसी दौरे पर जाने के लिये बैग तैयार कर रहे होते है ! बीबी मुदित भाव से आदेशित करती है आपको ! चैन्नई जा रहें हैं ! वहाँ नल्ली जरूर हो आईयेगा ! साऊथ सिल्क की साडियो का मशहूर शॉप है वो ! मेरे लिये साडियाँ लेते आईयेगा ! हम भी तो देखें आपकी पसंद कैसी है !
नैल्ली ! साडियाँ ! आप चारो खाने चित्त होते हैं अब ! आप याद करना चाहते हैं कि जिंदगी मे साडियो की दुकान मे घुसे कब थे ! आप ऐसा एक भी मौका याद नही कर पाते ! आपको शादी होने के पहले यह पता ही नही होता कि साडियाँ भी खरीदना होती है ! जीवन का कितना जरूरी हिस्सा है ये ! और साडियाँ खरीदना ना आना कितनी बडी विपदा है ! शादी करने के बाद ही आप यह जान पाते हैं कि आदमी साडियाँ नही खरीदता अपनी दिमागी शांति खरीदता है ! साडियाँ खरीदने की ! उन्हे परखने की तमीज ना हो ! उनकी किस्मो की जनरल नॉलेज ना हो किसी आदमी को तो उसकी पत्नी बेहिचक इस नतीजे पर पहुँचती है कि इस आदमी की परवरिश मे ही खोट है ! ले देकर बात ,इनडॉयरेक्ट तरीके से ही सही आपकी अम्मा तक ही पहुँचती है !
आदमी शादी करता ही इसलिये है ताकि वो इस धरती पर जन्मी और उसके हिस्से आई किसी सुंदर कन्या के लिये साडियाँ खरीदने की जिम्मेदारी उठाये ! आदमी की जो भी औकात होती है उसे उसी हिसाब की बीबी मिलती है और उसे जीवन भर बीबी के हिसाब की साडियाँ खरीदना होती हैं !
अब ऐसा भी नही आदमी साडियाँ नही खरीदता ! खरीदता है पर वो कभी वो वाली साडी नही खरीद पाता जो उसकी बीबी तो पसंद आ जाये ! अरे ! ये क्या उठा लाये आप ! आप हर बार ब्लू के आसपास क्यों मंडराते रहते हैं ! दुनिया मे और भी सैकडो कलर है ! पर आप भी ना ! आप चुपचाप सुनते हैं ! और महसूस करते हैं कि ये ताने आपके लिये ना होकर आपकी स्वर्गवासी अम्मा को समर्पित हैं !
आप फिर भी दौरे पर जाते हैं ! सरकारी आदमी किसी अनजान शहर मे दौरे के लिये जाता ही इसलिये है ताकि वहाँ की किसी जानीमानी ,मशहूर साडी की दुकान से साडी खरीद सके ! आप घुसते हैं साडी की दुकान मे ! और तब आपको यह पता चलता है कि साडियो की इतनी किस्मे होती हैं जितने किस्म के गुलाब नही पाये जाते दुनिया मे ! ये इतने नामो से आती है जितने नाम अब तक अंग्रेजी शराबो के नहीं रखे गये हैं ! आप कांजीवरम ,मैसूर सिल्क ,कोसा ,बनारसी ,बंगाली ,शिफॉन ,पटौली माहेश्वरी ,चंदेरी में चकरघन्नी होते हैं और आपको फिर अम्मा याद आती हैं !
सेल्समेन आपकी शकल देखते ही समझ जाता है कि बडे वाले हैं ! वह मुस्कराता है आपकी हालत पर तरस खाता है ! आप इस अनुभवी आदमी से मदद के आकाँक्षी होते हैं ! वो करता भी है ऐसा ! अब ये बात अलग है कि घर पहुँचने के बाद आपको पता चलता है कि वो भला आदमी एक नंबर का लुटेरा था ! और आप एक बार फिर बेवकूफ बनकर घर लौटे हैं ! जाहिर है ये बात आपको आपकी बीबी ही बताती है और स्वाभाविक रूप से आपकी इस नादानी को आपकी अम्मा के खाते मे ही डाला जाता है !
वैसे अपनी अम्मा की इज्जत बचाने का सबसे निरापद तरीका यह होता है कि आप जब भी साडियो के शो रूम मे घुसें ! बीबी के पीछे पीछे ही घुसें ! देखें बीबी को अपनी ! सीखे उससे कि साडियाँ कैसे खरीदी जाती हैं ! जब वो पूरा शो रूम तितर बितर कर रही हो तो वहाँ के सेल्समेन की तरह शांति बनायें रखें ! लंबी लंबी साँसे लें ! बीबी जब भी साडियों बाबत आपकी राय जानना चाहे तो आपकी शकल ऐसी होना चाहिये कि आप दिमाग पर जोर डाल रहे हैं और इस सवाल की गंभीरता से पूरी तरह वाकिफ हैं ! उसके बाद किसी भी एक साडी को उठायें ! टटोले उसे और उसके पक्ष मे राय जाहिर करें ! आपकी बीबी उसे उठायेगी ! साडी को देखने के बाद आपको देखेगी ! और उस साडी को साडियो के उस ढेर मे शामिल कर देगी जिसे वो रिजेक्ट कर चुकी हो !
अच्छा पति वही होता है जो पत्नी की पसंद पर मोहर लगाये ! उछल उछल कर कहे कि ये वाली साडियाँ तो उसे शुरू से बहुत पसंद थी ! सेल्समैन को घूरे नहीं ,दाम ना पूछे और बिल चुकाते वक्त अपने चेहरे पर हजार वॉट की मुस्कहराहट बनाये रखे !
साडियाँ खरीदने की कला तो शांति पूर्वक जीवन बिताने की सबसे सुगम पद्यति है ! विपश्यना सी प्रभावी है ये ! आदमी को और कुछ आये ना आये साडी खरीदना आना चाहिये !
अफसोस शादी के इतने वक्त बाद भी साडियाँ खरीदना सीख नही सका हूँ मै ! फिर भी ठेला जाता हूँ साडियो की दुकान पर ! अब भी खरीदता हूँ साडियाँ और यह सोचते हुये खरीदता हूँ कि यह अपनी अम्मा को याद करने का एक और मौका है .