जनरल टिकट पर स्लिपर क्लास में यात्रा करने पर एक बैंक के असिस्टेंट मैनेजर को 15 दिन के लिए जेल भेजने वाले मजिस्ट्रेट की मानसिकता को क्या कहेंगे आप?
जब तक औपनिवेशिक मानसिकता वाले जज, न्यायधीश, मजिस्ट्रेट, नौकरशाह, बाबू न्यायिक और प्रशासनिक ढांचे में मौजूद हैं, तब तक जनता को न इंसाफ मिलेगा न देश सही गति और सही दिशा में तरक्की ही करेगा।
मेरे एक जानकार बैंक मैनेजर को आगरा रेलवे स्टेशन पर केवल इसलिए 15 दिन के लिए जेल में डाल दिया गया कि वह जनरल टिकट पर स्लिपर क्लास में यात्रा कर रहा था। उसके घर वालों तक को सूचित नहीं किया गया। उसकी पत्नी को जेल के एक कर्मचारी ने भलमनसाहत में फोन कर सूचना दी।
पीएम, रेलमंत्री, यूपी सीम, जीआरपी, यूपी पुलिस, आरपीएफ को ट्वीट किया, ट्वीटर के साथियों ने इसे RT कर मदद किया तब थोड़ी सक्रियता बढी। रेल मंत्रालय, उप्र पुलिस, जीआरपी, आरपीएफ ने मामले को आगे बढ़ाया। देखिए यह जवाब आया है...।
संलग्न पत्र की भाषा बता रही है कि ऐसे अंग्रेज मानसिकता वाले मजिस्ट्रेट आज भी खुद को मी-लॉर्ड ही समझते हैं... आतंकवादी को बचाने के लिए रात भर सुनवाई करते हैं और आम जनता को मामूली बात पर जेल भेजते हैं!
कमाल है। हम आजाद हो गये, लेकिन लोगों को गुलाम बनाने की मानसिक आज भी भारत के प्रशासनिक ढांचे में गहरी पैठी है!