# पुलिस_की_इंसानियत
मेरे बेटों को जेल मत भेजना इन्स्पेक्टर साहब....
ये बुज़ुर्ग माँ सड़क पर बैठी रो रही थी...इन्स्पेक्टर कोतवाली (हापुड़) महावीर सिंह की क्षेत्र भ्रमण के दौरान नज़र पड़ी।उत्सुकतावश पूछ बैठे,माता जी आप रो क्यूँ रहीं हैं....??
पहले तो बताने को तैयार नहीं हुयी..उन्हें थाने लेकर आए।
पानी पिलवाया,फिर पूछताछ की तो पैरों तले ज़मीन खिसक गयी।
बताया कि मेरे तीन बेटे हैं,एक सरकारी नौकर है और दो बेटे अपना व्यापार करते हैं।मेरे पति का दो वर्ष पूर्व देहावसान हो चुका है।मुझे उन्होंने घर से निकाल दिया है...मैं अब इस उम्र में कहाँ जाऊँ...इतना कह रोने लगी।
इन्स्पेक्टर साहब ग्राम प्रधान के माध्यम से बेटों से फ़ोन कर बात की और उन्हें समझाया कि एक माँ ने तुम 3 को पाल लिया जब तुम छोटे थे...आज तुम बड़े हो गए और माँ असहाय हो गयी तो तुम 3 बेटों से एक माँ नहीं पाली जा रही..धिक्कार है तुम पर..
काफ़ी देर समझाने के बाद जब उनकी समझ में आ गया तो बेटे “माँ” को रखने के लिए तैयार हो गए।
लेकिन एक जब उस माँ को लगा कि अब बेटे मुझे ले जाने को तैयार हैं तो फिर से इन्स्पेक्टर साहब के सीने से लिपट गयी और रोने लगी..
कारण पूछा तो बोली मुझे डर लग रहा है कि आप मेरे बच्चों को जेल में न डाल दें...
वास्तव में यही माँ होती है...
तुरंत इन्स्पेक्टर साहब ने आश्वासन दिया कि में कोई क़ानूनी कार्यवाही नहीं करूँगा।
तब जाकर वो माँ अपने बच्चों के साथ घर वापस गयी।
ख़ैर...शुक्रिया इन्स्पेक्टर साहब आपके बड़े दिल के लिए
और माँ का तो कुछ कहना ही नहीं