संजीव जैन's Album: Wall Photos

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----- बाबा -----

ट्रेन में एक बाबा पूरी सीट पर लेटे हुए थे। पैरों में रबड़ के गन्दे जूते पहने हुए थे जो उन्होंने सोते वक्त भी उतारे नही थे। शायद कि चोरी ना चला जाए ये जरुरी सहारा। भगवा वस्त्र बहुत मैले थे, दाढ़ी भी बेतरतीब थी। सर के बाल भी उलझे हुए थे। एक पोटली सिरहाने रखी थी और कमंडल नुमा एक लौटा सीट के नीचे रखा हुआ था। गले मे रुद्राक्ष की माला पहनी थी। बाबा शराब की दुर्गंध बिखेरते भिखारी नुमा व्यक्तित्व ओढ़े बर्थ पर कब्जाए मान थे।

सामने वाली बर्थ पर बैठी मेडिकल की एक छात्रा बाबा को बहुत गौर से देखती रही।

अगले स्टेशन पर कुछ औऱ यात्री चढ़े। उन्होंने बाबा को भद्दी गाली थी। और उठ कर बैठ जाने की हिदायत थी। बाबा उठकर सीट के खिड़की वाले कोने में दुबक कर बैठ गए।

टिकट चेकर ने टिकट मांगी। किसी ने टिकट दिखाई, किसी ने पास दिखाया। बाबा ने अपनी लाचारगी दिखाई। टी टी ने सख्ती बरती। बोला- "जुर्माना दो, या अगले ही स्टेशन पर उतर जाओ। बाबाओं ने ट्रेन को अपने बाप की समझ लिया है।"

बाबा बहस करने की स्थिति में नही थे। बाबा को जीवन मे कहां जाना था कुछ तय नही था लेकिन आज वह हरिद्वार जा रहा था। क्यो जा रहा था यह भी उसे मालूम नही था।

टी टी ने बहुत सख्ती की तो मेडिकल की छात्रा ने निवेदन किया, "कितना है जुर्माना, मुझे बतायें। मैं देती हूं।"

बाबा के शरीर मे एकदम सिरहन दौड़ गई। आजतक तो कोई रोटी भी दुत्कार कर देता रहा, आज ये ईश्वर की कैसी कृपा हुई।

टी टी ने जुर्माना वसूला और चला गया। पास बैठे यात्रियों ने लड़की को समझाना शुरू कर दिया। तरह तरह की बात कही। लड़की चुपचाप सुनती रही।

लड़की के पास अब बहुत थोड़े पैसे बचे थे। लड़की का भी स्टेशन आ गया था। उसने उन थोड़े से पैसों में से दो सौ रुपये निकाले औऱ बाबा की हथेली पर रख दिये, बोली- बाबा -" टिकट ले लिया करो, और कुछ खा भी लेना।"

बाबा की आंख में आंसू आ गये। उसने लड़की से पूछा-" तुमने मेरे लिए ये क्यो किया बेटी।"

लड़की बोली- "मेरे पिता भी अपनी पांच बेटियों को छोड़कर बाबा बनने निकल गए थे। माँ ने लोगो के घरों में बर्तन-सफाई करके हम सबको पढ़ाया। आप पिता से लगे इसलिए मुझसे रहा नही गया। मैं चलती हूँ बाबा, ट्रेन चल पड़ेगी।" और लड़की अपने स्टेशन पर उतर गई।

स्टेशन पर उतर कर लड़की ने माँ को फ़ोन लगाया। "माँ, आज पिता जी मिले थे ट्रेन में। ठीक थे। हरिद्वार जा रहे थे।" फिर माँ ने कुछ पूछा, फिर बेटी ने कुछ बताया, कुछ छिपाया। फिर माँ-बेटी देर तक फ़ोन पर बतियाती रहीं, रोती रहीं।

बाबा भी ट्रेन की खिड़की से लड़की को दूर तक देखता रहा, देर तक रोता रहा।