जरा विचार करें,
आज हमारा देश तेजी से विकास कर रहा है और व्यक्तिगत रूप में हम सब भी अपना विकास कर ही रहे हैं, पर ऐसा ना हो कि विकास की दौड़ में हम परिवार रूपी पूंजी से हाथ धो बैठें।
( हमें गर्व है अपने परिवार पर क्योंकि हम सब एकहैं।)
रिश्ते बनाना, बनें हुए रिश्ते बिगड़ जाना और रिश्तों को निभाना---------तीनों एक से बढ़कर एक कठिन काम हैं। यह एक कला है,जिसे सीखने के लिए धैर्य जगाना होगा, धैर्य जगाने के लिए मन पर काम करना पड़ेगा, क्योंकि मन बड़ा अधीर होता है!
इस भौतिकवादी समय में अपने अपने परिवारों को बचाने के लिए प्रयत्न करें।
परिवार एक तो समाज एक, और समाज एक तो पूरा देश एक
पहले पहल स्वयं से करें।।।