संजीव जैन's Album: Wall Photos

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|| मन के पागलपन से मुक्ति ||

प्रेम - संबंध में आपको खो जाना चाहिए - मालकियत करने का प्रयास नहीं करना चाहिए। प्रेम - संबंध में आपको समर्पित हो चाहिए, और यह नहीं देखना चाहिए कि किसका हाथ ऊपर है।
इसलिए सोच - विचार बंद कर दें। और जब भी आप स्वयं को सोचता हुआ पाएं तो सिर को एक अच्छा झटका दें -- एक जोरदार झटका ताकि भीतर सब कुछ उलट - पुलट हो जाए।। इसका हमेशा खयाल रखें और कुछ ही सप्ताह में आप देखेंगे कि ऐसा झटका सहयोगी होता हैं। अचानक आप अधिक सजग हैं ।

झेन मठों गुरु एक डंडा लेकर चारों और घूमता रहता है, और जब भी किसी शिष्य को झपकी खाते हुए देखता है, विचारों में खोया हुआ देखता है, सपनों को उसके चेहरे पर तैरता हुआ देखता है तो तुरंत उसके सिर पर जोर से डंडा मारता है। यह अचानक डंडे का पड़ना एक शाक, और एक क्षण के लिए विचार रूक जाते हैं, और अनायास ही सजगता का प्रादुर्भाव होता है।

मैं डंडा लेकर आपके पिछे नहीं घूम सकता।

आप स्वयं को ही क झटका दें, एक जोरदार झटका। और लोग अगर आपको पागल समझें तो फिक्र न करें। केवल एक ही पागलपन हेऔर वह मन का पागलपन। ज्यादा सोच - विचार करना ही एकमात्र पागलपन है। बाकी सब कुछ सुंदर है। मन ही रोग है।

ओशो,
ध्यान विज्ञान