संजीव जैन's Album: Wall Photos

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परिवार बचाओ
इतिहास की और तेजी से अग्रसर होती जा रहे हमारे परिवार।।
पहले परिवार की परिभाषा में दादा,दादी,चाचा,चाची,भाई,बहनें होती थी ,लेकिन आज के भौतिकवादी युग में परिवार हम दो हमारे दो की परिकल्पना में जी रहे हैं।
क्या हो रहा है?क्यों हो रहा है ?क्या प्राप्त कर लेंगे परिवार को तोड़कर।
थोड़ा संयम,धैर्य से विचार करें!!