●╫♥ दोस्तों♥╫●
एक घर के सामने सडक बन रही थी।
गरीब मजदूरिन वहाँ काम कर रही थी।
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मजदूरिन के घर का सारा बोझ उसी पर पडा था।
उसका नन्हा सा बच्चा साथ ही खडा था।
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उसके घर के सारे बर्तन सूखे थे।
दो दिन से उसके बच्चे भूखे थे।
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बच्चे की निगाह सामने के बँगले पर पडी, देखा कि
घर की मालकिन, हाथ मे रोटी लिये खडी है।
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बच्चे ने कातर दृष्टि मालकिन की तरफ डाली
लेकिन मालकिन ने रोटी पालतू कुत्ते की तरफ उछाली।
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कुत्ते ने सूँघकर रोटी वहीं छोड दी और अपनी गर्दन दूसरी तरफ मोड दी।
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कुत्ते का ध्यान रोटी की तरफ जरा भी नहीं था,
शायद उसका पेट पूरा भरा था।
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यह देख कर बच्चा गया माँ के पास, भूखे मन मे रोटी की लिये आस.
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बोला- माँ। क्या रोटी मै उठा लूँ. . .?
तू जो कहे तो वो मै खा लूँ?
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माँ ने पहले तो बच्चे को मना किया और बाद मे मन मे ये खयाल
किया कि- कुत्ता अगर भौंका तो मालिक उसे दूसरी रोटी दे देगा,
मगर मेरा बच्चा रोया तो उसकी कौन सुनेगा. . .?
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माँ के मन मे खूब हुई कशमकश लेकिन बच्चे की भूख के आगे वो थी बेबस।
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माँ ने जैसे ही हाँ मे सिर हिलाया, बच्चे ने दरवाजे की जाली मे हाथ घुसाया।
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बच्चे ने डर से अपनी आँखों को भींचा, और धीरे से रोटी को अपनी
तरफ खींचा।
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कुत्ता यह देखकर बिल्कुल नही चौंका। चुपचाप देखता रहा।
जरा भी नही भौंका।
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कुछ मनुष्यों ने तो बेची सारी अपनी हया है,
लेकिन कुत्ते के मन मे अब भी शेष दया है. . . . .।।।
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- €νεяŷσŋɛ Ïš Sσмεтнíŋg Sρεcíαl •