" सेवा दिवस "
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चलो अभिष्ट मार्ग में, सहर्ष् खेलते हुए,
विपत्ति , विघ्न जो पड़े, उन्हें ढकेलते हुए।
घटे न हेलमेल हॉ, बढ़े न भिन्नता कभी,
अतर्क एक पंथ के सतर्क पंथ हो सभी।
तभी समर्थ भाव है कि तारता हुआ तरे,
वहीं मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।
~ [ मैथिलीशरण गुप्त ]
माननीय मित्रों
सादर नमस्कार।
सच्ची जाति मनुष्य बनना है और मानवता ही सच्चा धर्म है ,समाज के प्रति अपने उत्तरदायित्व का बोध कराने हेतु इनबुक नेटवर्क द्वारा अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।
इसी कड़ी में 2 अक्टूबर गांधी जयंती को "इनबुक" सेवा दिवस के रूप में मनाने जा रहा है।
इस तरह के आयोजनों से ही बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास होता है एवं उन्हें समाज की वास्तविकता से परिचय होने का अवसर प्राप्त होता है
हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कहते हैं कि -
भलाई करना कर्तव्य नहीं आनंद है
और आनंद व निस्वार्थ भाव से
की गई सेवा मनुष्य के लिए
स्वर्ग के द्वार प्रशस्त करती है ।
इस वर्ष भी 2 अक्टूबर को गांधी जयंती के उपलक्ष्य में हम सब इनबुकर आदिवासी आश्रम एवं निशक्त जनों में जाकर अपनी सेवाएं देंगे ।
आप भी अपनी योग्यता अनुसार समाज के इन लोगों एवं बच्चों की मदद कर सकते हैं जो निम्न प्रकार से हैं ~