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भारतीय सामाजिक नेटवर्क
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किसी के लिए सरताज है जिंदगी
कभी दो वक़्त की रोटी की मोहताज है,
कोई रो-रो कर निकाल रहा है
किसी के लिए एक बिंदास अंदाज है जिंदगी
कोई ठोकरों से टूट गया है देखो
किसी ने दूसरों की जिंदगी को सजाया है
इस बीत रही जिंदगी का
राज किसने पाया है?
नफरत की आग लिए दिल में
जलते रहते हैं कई लोग
और कुछ
खुशियों की दवाई बाँट रहे हैं
मिटाने को ग़मों के रोग,
जिंदगी ने अपने रूप से हमें
इस तरह से मिलाया है,
इस बीत रही जिंदगी का
राज किसने पाया है?
अपने लिए जिए तो क्या जिए,
तू जी जमाने के लिए ।।