Happy Deepawali
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दीपावली का त्योहार रोशनी का त्योहार है,दिवाली के त्योहार पर घर लौट आने का रिवाज रहा है ।रिश्तों से,अपनो से जुड जाने की रीति रही है ।लेकिन अब परिवार में,परिवेश में मौजूद होकर भी हम उसका हिस्सा नहीं होते ।यो अपनों के साथ होकर भी न होने के हालात त्योहार की ही नहीं ,जिन्दगी की रौनक को भी कम कर रहे हैं,जाने हम कहाँ गुम है कि रिश्तों का उजास पर एक अनकहा अंधेरा छा रहा है ,जुड़ाव की उस ज्योति का अभाव उपज रहा है जो समाज का अंधकार मिटाती है ।
रोशनी के पर्व पर मिलकर सोचें कि तकनीक और तरक्की की दौड़ में क्या -क्या पीछे छूट गया? कौन सी चमक में मुहब्बत और मुस्कुराहटों का आलोक फीका कर दिया?
इस पर्व पर संवाद की रोशनी बिखेरें शुभकामनाएँ भेजने की औपचारिकता के बजाए मेलजोल बढ़ाए,अपनों के साथ आंगन में मिल-बैठ बतियाएं ।
दीपावली मेलजोल का सुंदर मौका है ।।
जीवन में हर खुशी हर सफलता की सार्थकता तभी है जब अपने साथ हो ।
जितनी आभा के साथ एक दीपक अकेला जलता है उससे कहीं अधिक पूर्णता वो एक पंक्ति से जुड़कर पाता है,ढीक ऐसे ही हम भी अपनों से जुड़कर ही पूर्णता पाते हैं ।इस जुड़ाव में सार्थक संवाद की सबसे अहम भूमिका है,यही वो डोर है जो हमें अपनों से बांधती है और सदा के लिए बांधे रखती है ।
आइये हम उस उजाले को चुनें जो इंसानियत की चमक लिए हो ।।
पुनः आप सबको inbook network की और दीपावली की बहुत बहुत बधाई एवं ढेरों मंगल शुभकामनाएँ ।।