संजीव जैन's Album: Wall Photos

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अब यह तय करना मुश्किल था कि ट्रैन तेज दौड रही थी या उन मोहतरमा की जुबान ! मै देर तक इस गंभीर प्रश्न पर चिंतन करता रहा और फिर इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि इस प्रतियोगिता मे ट्रैन का हारना तय है क्योकि इन मरदूद रेलवे वालो ने बीच बीच में जो ये स्टेशन बना दिये है उन पर उसे मजबूरन रूकना ही होता है !
ट्रैन थी राजधानी एक्सप्रैस ! और एसी फस्ट के उस कूपे मे मेरे सामने की बर्थ पर कब्जा किये वो रूपवती अपने एक अदद होनहार चुप्पे पति और दो जीनियस से दिखते ,चश्मा पहने बच्चो के साथ मौजूद थी ! पति का होनहार होना मैने इसलिये तय किया क्योकि वो एक सुलक्षणा महिला का पति होने के अलावा एसी फस्ट का यात्री था !
अपर बर्थ पर जबरन चढे ,किसी अंग्रेजी किताब मे घुसे पति का मनोबल काफी लोअर सा था ! वो गिरे मनोबल के कारण चुप था या पति होने के कारण ये समझने के लिये मुझे उस पर ध्यान देना पडता ,परिस्थितियो को देखते हुये मैने सर्वश्रैष्ठ का चुनाव किया और शास्त्र सम्मत विधान अनुसार उस रूपसी पर ही ध्यान देना उचित समझा !
चालीसेक बसंत देख चुकी ,पैतीस की लगती उस संभ्रांत महिला को देख सबसे पहले मुझे यह अफसोस हुआ कि काश दसेक साल पहले मै उन्हे सफर करते देख पाता ! तीखे नाक नक्श वाली यह सुंदरी ताजमहल सी दर्शनीय थी ! और वैसी ही सजी संवरी थी जैसे छब्बीस जनवरी ,पन्द्रह अगस्त को राष्ट्रपति भवन सजा रहता है !
बच्चो के पास अपने अपने मोबाईल थे ,जाहिर है उनकी मम्मी के पास भी था ,ये बडी बात मुझे ऐसे पता चली क्योकि मैने उन्हे मोबाईल पर बतियाते हुये देखा ! देखा तो सुना भी ! वैसे मेरी हार्दिक इच्छा उन्हे देखने भर की थी पर देखने के प्रयास मे वे सुन भी ली गईं !
जो सुना गया उससे मुझे पता चला कि व अपनी सास से भयानक तौर पर नाराज थी ! नाराजगी की वजह भी बडी वाजिब थी ! सास अस्सी पार कर चुकने के बावजूद मरने को राजी नही थी ! और अब भी नाश्ते मे दो अंडो के ऑमलेट का भोग लगाने को तत्पर बनी हुई थी ! कायदे से तो किसी सुंदर महिला की सास को सास बनने के पहले ही मर जाना चाहिये ! अपनी होने वाली बहू के लिये एक योग्य पुत्र को जन्म देने के अतिरिक्त और क्या उपयोग हो सकता है उसका ! पर इस विदुषी महिला की सास इतनी समझदार थी नही ! अस्सी की चुकने के बावजूद अब भी बहू की छाती पर मूंग दलने के लिये जीती मौजूद थी !
फोन पर दूसरी तरफ इस दुखी और नाराज महिला की बहन थी शायद ! वे भी अनुभवी लगी मुझे ! संभवत: सास से छुटकारा पाने के बारे मे काफी कुछ शोध कर चुकी होगीं ! दूसरी तरफ से जो उपाय बताये जा रहे थे ,वो सुन तो नही सका मै ,पर इस तरफ की बात से जो अंदाजा लगाया मैने ,उसके हिसाब से तो उसमे ,नींद की गोलियो का ओवर डोज देकर या तकिये से गला दबा कर सास की हत्या कर देने के अलावा बाकी सब तरीके शामिल थे !
जिस सास की चर्चा हो रही थी ,वो नब्बे के होने के बाबजूद पर्याप्त हट्टी कट्ठी थी ! याददाश्त आती जाती रहने के बावजूद अपनी बहू को गालियाँ देना भूली नही थी ! पोतो को बिगाडने मे उसका ही हाथ था ! अपने एक और बडे लडके के होने के बावजूद इस भली औरत के पति के साथ ही रहना चाहती थी ,वसीयत मे बडे लडके के नाम भी जमीने लिख चुकी थी ! हमे़शा अपनी लडकियो की बातो मे ही लगी रहती थी और मौके बेमौके उन्हे रूपये कपडे देने से मानती नही थी !
इस आशावादी बहू का स्पष्ट मत था कि उसकी सास का जीवित बने रहना ही उसकी कलही ननदो की आवाजाही का एकमात्र कारण है ! इस भली महिला को अपने भोले भाले पति का बहनो के हाथो लूटा जाना पसंद नही था इसलिये वो अपनी सास की चला चली की हार्दिक इच्छुक थी !
यह अच्छी बहू चाहती थी कि सास किसी दिन सुबह सोकर ना उठे पर रोज सुबह पाँच बजे उठ जाती थी ! उठ कर भजन भी गाती थी जो बहू को सुनना पडते थे !
यह सुगढ बहू उसके भव्य अंतिम संस्कार और खर्चीली तेरहवी का पूरा प्लान तैयार कर बैठी थी ! इसके बावजूद वो दुष्ट सास एक बार सीढियो से फिसलने के बावजूद जिंदा थी ! और अब खुद के बनवाये हुये बंगले के ग्राऊंड फ्लौर के बेडरूम पर काबिज थी !
मैने पाया इस मेनका का विश्वामित्र चादर से मुँह ढाके पडा था ! लिहाजा मै लगातार देखता सुनता रहा उस सुंदरी को ! सुनता रहा और उनसे सहमत होता रहा ! मैने ईश्वर से प्रार्थना की कि वो इस परमसुंदरी की मनोकामना यथाशीघ्र पूर्ण करे ! सुंदर महिलाओ से सहमत होना विद्वता के लक्षण है ! और मुझे लगता है मेरे विद्वान होने से आप भी सहमत होगें !