।। इनबुक नेटवर्क की और से बाल दिवस की शुभकामनाएँ ।।
दौड़ने दो नन्हे कदमों को खुले मैदानों मैं जनाब
जिंदगी बहुत भगाती है बचपन गुजर जाने के बाद ।
जी हाँ बच्चे धरती के वो नन्हे फरिश्ते है जिनका कोमल स्पर्श बांस व बबूल के कांटेदार वृक्षों से भी शेफालिका के कोमल पुष्प बरसाने का सामर्थ्य रखता है,पाषाण हृदय भी बच्चों की मनोरम मुस्कान से पिघलकर झरने की भाँति हो जाता है ।
"बाल दिवस "मनाने का विशेष उद्देश्य यह है कि बच्चों को इस विशेष दिन उनके अधिकारों एवं कर्तव्यों के विषय से अवगत कराया जाए ।उनके साथ मनोरंजन के साथ समय व्यतीत किया जाए ताकि बच्चे भी अपना महत्व समझे ना कि स्वयं को उपेक्षित महसूस करें ।
वास्तव में आज बिगड़ते माहौल में बाल दिवस मनाना तब ही सार्थक है जब हम सभी बच्चों को समान रूप से पढ़ने,लिखने,हंसने,खाने व खेलने के अवसर प्रदान करें अन्यथा बिन बचपन को जिए ये बच्चे यू ही प्रौढ़ होते जाएंगे और हम महज "बाल दिवस " की औपचारिक रश्म अदायगी कर अपने कर्तव्यों की इति श्री करते रहेंगे ।
Inbook network का आप से कहना -------------
उड़ने दो परिंदो को अभी शोंख हवा में
फिर लौट के बचपन के जमाने नहीं आते ।।