संजीव जैन's Album: Wall Photos

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सब तीरंदाज बने है सबका कंधा एक कपूत हुआ।
आतंकी पेरोकारो के पैरो की धूल, भभूत हुआ।।

सबकी आँखो का तारा है जो बर्बादी का दूत हुआ।
पर बात एकता की करता जो सबको आज अछूत हुआ।।

अब तक क्या भारत माँ थी सुख चैंनो से सत्तर सालो मे ?
अब तक क्यो नही दिखा किसको भी दर्द झलकता छालो मे ??

अब तक भुखमरी गरीबी से क्या आजादी थी भारत को?
वो कोहिनूर जो दे आजादी आज मिला है भारत को।

पर सोचा ना था राजनीति इस हद तक भी गिर जाएगी।
सत्ताओ की कुर्सी देशद्रोहियो से जाकर मिल जाएगी।।

बन आज दुशासन सब भारत माँ की अस्मत को लूट रहे।
कितना दे चीर नंद-लाला सब बनकर कूकुर टूट रहे।।

आओ तुमको मे इन सब दल्लो की औकात दिखाता हूँ।
इस कलियुग के कान्हा रूपी कंसो की जात बताता हूँ।।

ममता की ममता धूमिल है माटी, मानुष से प्यार नही।
घायल बंगाल बोस का है दिखता है मुस्लिम अत्याचार नही।।

चारे को चबा-चबा खाने वाले चौपे भी बोल उठे।
सब चोर, चोर को ईमानो वाली नजरो से तोल उठे।।

जो बना प्रतीक कुशासन का जो जंगलराज का दाता है।
उसको भी उद्घोषक बर्बादी का कितना ही भाता है।।

चोपर की चटनी चाट-चाट के कितने लोग चटोर हुए।
कितने ही ढेर लगा घोटालो के सारे ही चोर हुए।।

वो चोर आज बेईमानी पर ज्ञान बाँटने निकले है।
इक नीच नपुंसक की देखो तशरीफ चाटने निकले है।।

दिल्ली का डमरूबाज भी देखो कैसा ढोंग रचाता है।
बाजार झूट का बेंच कपूतो को नादान बताता है।।

ये भूल हिदायत न्यायालय की और भूलकर झाडो को।
ये दुष्ट्र चुनैती हरदम ही देता रहता है पहाडो को।।

अब शिव सैनिक भी असुरो के जत्थे मे शामिल हो बैठे।
दर्पण को दोषी बोल रहे कीचड से चेहरा धो बैठे।।

कल तक जो हिन्द सनातन के हमको घातक हथियार लगे।
वो सिंह ठाकरे के वंशज भी हमको आज सियार लगे।।

उस सीताराम के प्यादे मे सबको भवतारण दिखता है।
उन बर्बादी के नारो मे भी छंद मनहारण दिखता है।।

जबसे कस गये पेंच सारे जबसे देखा है टोटे को।
खबरंडी ने भी तो तबसे पीछे छोडा है कोठे को।।

जो कल तक रहे धुरविरोधी वो आज एक हो बैठे है।
सबकी नजरो मे जेहादी सरताज नेक हो बैठे है।।

सबने ही गोद बिठाया है नापाकी दुष्ट कन्हैया को।
जैसे वो लट्ठ लगाएगा इन सबकी डूबी नैया को।।

एक निशाना हिन्दू ही सबका जैहादी आतंक सभी को भाता है।
लगी आग सीने मे पूँछती हूं दल्लो "ये रिश्ता क्या कहलाता है"।।

वंदे मातरम