रेल्वे के कंबलो की क्या कहें ! मेरे ख्याल से इन्हे इसलिये नही धुलवाया जाता कि यदि चलती ट्रैन मे कोई मुसाफिर बीमार पड जाये ! उसका ऑपरेशन करने की नौबत आ जाये तो उसे बेहोश करने के लिये इनका इस्तेमाल किया जा सके !
हमारी रेलो की जो गरिमा और प्रतिष्ठा है वो इन गंदे कंबलो के कारण ही है ! एक बार तो मै एसी फस्ट मे धुले कंबल देख कर घबरा कर उतर पडा था ! मुझे लगा कि मै दूसरे देश की किसी गलत ट्रैन मे चढ गया हूँ ! ये पहचान है हमारी ट्रैनो की ,इसलिये इन्हे धुलवाना देशद्रोह सी हरकत है !
इन कंबलो को देखकर जो पहला आदमी याद आता है मुझे वो है सत्येन कप्पू ! कौन सत्येन कप्पू ! अरे वही जो दीवार मे बाप बने थे अमिताभ बच्चन के ! चोर ना होने के बावजूद चोर मशहूर हुये ! चोर के इस ठप्पे से इतने दुखी हुये कि ट्रैन मे जा चढे ! बाकी जिंदगी ट्रैन मे कंबल ओढे बिताई और कंबल ओढे रहने के बावजूद दीर्घायु हुये ! अब वो चोर कहलाने के डर से ट्रैन मे चढे या ट्रैन के कंबलो से इश्क कर बैठे थे इस बाबत किसी विद्वजन ने अब तक कुछ कहा नही है ! सत्येन कप्पू भी कभी के मर चुके वरना उनसे भी इस सवाल का जवाब माँगा जा सकता था ! बहरहाल वो मर चुके ये बात तो पक्की है ! और मेरा यही खयाल है कि वो ट्रैन के कंबलो की वजह से ही मरे होगे वरना कुछ साल और चल सकते थे !
एक और जिस नतीजे पर पहुँचा हूँ मै कि इन कंबलो को ओढा तो नही जा सकता ,हाँ किसी को ओढा कर ,कूटे जाने के लिये इस्तेमाल जरूर किया जा सकता है ! और इस नेक काम के लिये इन्हे धोने की जिम्मेदारी लेने वाले ठेकेदार से लायक और कौन हो सकता है !
वैसे ठेकेदार की भी गलती नही इसमे ! हमारे रेल मंत्री एक बार लोकसभा को बता चुके कि उन्हे भी इन कंबलो की चिंता है और यह पक्का किया गया है कि ये कंबल कम से कम दो महिने मे एक बार जरूर धो लिये जायें ! ऐसे मे ठेकेदार यदि कंबल धोने मे एकाध महिना अपनी तरफ से जोड ले तो यह उसका हक बनता है !
कंबल ना धोने की एक बडी वजह और भी है ! अंग्रेजी अखबार मुंबई मिरर के मुताबिक पश्चिम रेलवे ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान चोरी गए सामानों की लिस्ट जारी की है। इसके तहत सामने आया है कि राष्ट्रीय संपत्ति को अपनी संपत्ति मानने वाले एसी के माननीय यात्रीगण पिछले एक साल मे 1,95,778 तौलिए, 81,736 चादरें ,55,573 पिलो कवर और 5038 तकिये चुरा कर अपने घर ले जा चुके ! अफसोस केवल इस बात का है कि केवल 7043 ही ऐसे समझदार आदमी निकले जिन्होने कंबल चुराये ! जाहिर है यदि कंबल गंदे ना होते तो और भी कंबल चोरी हो सकते थे !
पूरे देश मे साल भर मे केवल चौदह करोड के ही तौलिये ,चादर चुराये गये ! यदि हम सभी ठान लेते तो ये आँकडा चौदह सौ करोड के पार होता ! हमने ऐसा नही किया यह हमारी नेकनियती का सबसे बडा सबूत है !
मै हैरान हूँ कि तौलिये चुराने वाले कंबल क्यो नही चुराना चाहते !ट्रैन के कंबल चोरी करने से बडा परोपकार और कुछ हो ही नही सकता ! ट्रैन मे सफर करने वाले तभी सुखी हो सकते है जब सारे कंबल चोरी हो जाये ! और कोई तरीका हो सुखी होने का तो आप बतायें !