पत्रकारिता की पढ़ाई में आपको विज्ञापन के बारे में भी पढ़ने को मिलता है... विज्ञापन ऐसे होने चाहिए जो दर्शकों के मन को उद्वेलित कर सके... तो विज्ञापनों को नकारात्मक और सकारात्मक विज्ञापन की श्रेणी में हम बांट सकते हैं.... नकारात्मक विज्ञापन वो होतें हैं, जिसमे किसी चीज का नकारात्मक पक्ष दिखाकर आप अपने प्रोडक्ट को बेचतें हैं.... श्री जंगरोधक सीमेंट का एक एड आता था, जिसमे बारिश के मौसम में छत से गिर रहा पानी एक ड्रैगन बन जाता है, और पूरी बिल्डिंग को गिरा देता है.... फिर सीमेंट का प्रचार होता है.... यह नकारात्मक विज्ञापन है.... दर्शकों के मन मे भय और उत्तेजना का संचार होता है और लंबे समय तक याद रहता है..... वहीं हीरो बाइक्स के एड में सैनिकों को सेल्यूट करते हुए विज्ञापन है.... इसमें एक अच्छा संदेश देकर विज्ञापन किया जाता है….. सकारात्मक विज्ञापन भय और उत्तेजना का संचार नही करती, बल्कि ये आपके दिल मे एक छाप छोड़ती है और सुकून का अनुभव कराती हैं......
" प्रधानमंत्री चोर है " "देश को उद्योगपतियों को बेच दिया" जैसे विज्ञापन नकारात्मक विज्ञापन हैं.... इसमें आप खुद के कार्यों को न बताकर अगले की कमियों को बतातें है.... दिल्ली विधानसभा के दौरान भाजपा ने भी अरविंद केजरीवाल जी के खिलाफ नकारात्मक प्रचार का कोई मौका नही छोड़ा था..... ऐसे विज्ञापन जनता को उत्तेजित करतें हैं, सनसनी पैदा करतें हैं, प्राइम टाइम डिबेट में आते हैं.... विज्ञापनदाता उसे ही अपनी जीत समझ लेता है.... पर वास्तविकता थोड़ी भिन्न रहती है.....
सकारात्मक प्रचार उतनी सनसनी पैदा नही करते, आप प्राइम टाइम में भी उनकी चर्चा नही सुनते क्योंकि उनसे TRP नही बढ़ती, पर ये आपके दिल को छूते हैं, आपका सीधा सरोकार इनसे रहता है क्योंकि ये आपके और आपके देश के हित से जुड़े फैसले होते हैं.....
दिल्ली में जनता ने नकारात्मक प्रचार के बाद भी अरविंद को प्रचंड बहुमत दिया... उसने नकारात्मक प्रचार को सिरे से नकार दिया.... जनता को आपके काम और आपकी सही नियत धरातल पर दिखनी चाहिए..... उसे अपने अच्छे बुरे का ज्ञान है..… अब आप उसे बहका नही सकते......
तो सत्ता आरोपों और चिल्लाने से नही मिलती, आपको वादे पूरे करने होते हैं.... काम करके दिखाना पड़ता है... लोगों का आप पर विश्वास बनाये रखना होगा, तभी वो आप पर भरोसा कर पाएंगे..... बाकी नकारात्मकता से सिर्फ लोगों का ध्यान जीता जाता है, दिल नही.....