प्यारे मित्रो! आज हमारे प्यारे सदगुरु ओशो का निर्वाण दिवस है. कहते हैं सदगुरु का आना वसंत की तरह होता है असंख्य फूल खिल उठते हैं सदगुरु की उपस्थिति में! वे भी इस पृथ्वी पर एक वसंत की तरह आये, जिसने जीवन की बहती हवा में एक खुशबू घोली और फिर ऐसे रुखसत ले गये इस पृथ्वी से जैसे यह सबसे आसान काम हो. हाँ! उनके लिये यह बड़ा आसान काम था क्योंकि वे अपने जीवन को उसके पूरे उत्कर्ष और सौंदर्य से परिपूर्ण जी सके. ओशो कहते थे कि मृत्यु जीवन की विरोधी नही बल्कि उसका साथी है.