जज - तूने "भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह" का नारा लगाया था?
कैदी - जी हां..
जज - तूने "पाकिस्तान जिंदाबाद" का नारा लगाया था?
कैदी - हां..
जज - तूने "राष्ट्रगान" और "राष्ट्रगीत" का विरोध और अपमान किया?
कैदी - हां..
जज - तूने "आतंकवाद" और "नक्सलवाद" का समर्थन किया था?
कैदी - हां..
जज - तूने सेना को बलात्कारी कहा और सेना पुलिस के खिलाफ हथियार उठाने का समर्थन किया था?
कैदी - हां..
जज - तूने "सरकारी संपत्ति" को नुकसान पहुंचाया था?
कैदी - हां..
जज - तूने "हर घर से आतंकवादी निकलेगा" कहा था ?
कैदी - जी बिल्कुल कहा था
जज - तूने "पाकिस्तान का झंडा" लहराया था?
कैदी - जी हां..
जज - तूने ऐसा क्यों किया, तुझे पता है यह देशद्रोह है और इसकी सजा क्या है?
कैदी - जी हां, मैंने ऐसा बहुत सोच समझ के किया है। इसके पहले मैं दो टके का गुमनाम इंसान था, मुझे कोई भी नही पूछता था। लेकिन जबसे मैंने ऐसा किया तभी से मैं माननीयों की श्रेणी में आ गया। अब राष्ट्रीय पार्टियों के बड़े-बड़े नेता जैसे पप्पू, लालू, बुआ, बबुआ, ममता, अब्दुल्ला, सरजी आदि मुझसे मिलने के लिए बेचैन हैं।
उनके दिन भर फोन आ रहे हैं। कोई न कोई रोज सुबह शाम मिलने आता है। मेरी देशविरोधी विचारधारा पर अच्छे अच्छे राजनैतिक विश्लेषक मंथन कर रहे हैं। रवीश, राजदीप, बरखा, प्रसून जैसे पत्रकार मेरी सराहना कर रहे हैं , और टीवी पर मुझे स्टार बना रहे हैं। मुझ पर प्रिंट मिडिया में लेख लिखे जा रहे हैं। मुझे भगत सिंह कहा जा रहा है । टी.वी. चैनलों पर मेरे ऊपर बहस चल रही है। कल तक मैं छोटी मोटी नौकरी के लिए परेशान था, आज बड़ी बड़ी पार्टियों से विधायकी सांसदी चुनाव लड़ने के अॉफर आ रहे हैं। मेरे खाते में करोड़ों रुपये आ गए हैं। अब मैं हवाई जहाज से घूमता हूँ , जगह जगह भाषण देता हूँ ।
जज - लेकिन तुमने जो कहा था वह "राष्ट्रद्रोह" है, तुम पर राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चल सकता है।
कैदी - मुझे कोई दिक्कत नहीं, कोई डर नही । सेक्युलर और बुद्धिजीवी मेरे साथ खड़े हैं ।देश के नामी गिरामी वकील मुफ्त में मेरी पैरवी करेंगे। मुझे बचाने के लिए ये लोग संविधान से देशद्रोह का कानून ही खत्म करवा देंगे। मेरा केस सुप्रीम कोर्ट तक लड़ेंगे। याक़ूब मेमन और अफ़ज़ल के पक्ष में आधी रात में कोर्ट खुलवाने वाले लोग मेरे लिए भी आधी रात में कोर्ट खुलवा लेंगे । मेरा केस 50 साल तक खींचेंगे , मुझे कोई सजा नही होगी।